चाहिए ही क्या है अब एक लेपटॉप , कुछ मॉस्क , कुछ छोटी ड्रैस बस और शरीर का शोषण भी नहीं और पैसा भरपूर

हरियाणा राज्य की साइबर सिटी गुरूग्राम में मेरे पास नवम्बर 2018 में रिया ( काल्पनिक नाम ) एक फोन आया , लड़की ने कहा कि आप डॉक्टर हैं क्या , मैंने कहा डॉक्टर तो नहीं हूँ आप बताईए , तो लड़की ने कहा कि मैंने आपका फ़ेसबुक पर एक विडियो देखा तो इसलिए फ़ोन किया तो मैंने कहा कौन सा विडियो तो वो पहले चुप हुई फिर बोली की वो माहवारी वाला , प्लीज़ क्या आप मेरी हेल्प कर सकते हो मेरा खून 10 दिन से नहीं रूक रहा , मैंने स्टोर से लेकर काफ़ी गोलियों भी खा ली लेकिन कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा , फिर मैंने उसको गॉयनोकोलोजिस्ट के पास जाने के लिए कहा तो उसने बड़े विश्वास से कहा आप मेरी मदद नहीं कर सकते क्या , तो मैंने कहा कि मैं आपकी जगह से 2 घंटे के क़रीब की दूरी पर हूँ और मैं उसके पास पहुँचा तो देखा कि 18-20 साल की बहुत परेशान लड़की देखी और बिन समय ख़राब किए वहॉं नज़दीक डॉक्टर के पास लेकर गया और उसको डॉक्टर को दिखाया और फिर वो चली गई । उसके बाद जब कई बार बात हुई तो पता चला कि वो किसी स्पा सेंटर में जॉब करती है जहॉं पर वो सेंटर में सेक्स भी करती है क्योंकि स्पा सेंटर उन्हें तनख़्वाह नहीं देते उन्हें सिर्फ टिप पर निर्भर रहना होता है और महीने में नेचुरल पीरियड रोकने के लिए टेबलेट खाती है और मेरे पास बिल्कुल पैसे नहीं थे क्योंकि लगातार ख़राब सेहत के कारण वो कुछ भी पैसा नहीं कमा पाई और जब मैं ऐसे ही फ़ेसबुक देख रही तो आपका विडियो आया जिसमें आप कुछ लडकीयों से पीरियड पर बात कर रहे थे तो मुझे लगा कि आप डॉक्टर हैं ।आपकी बातें सुनकर लगा आप मदद करे देंगे तो आपका नम्बर फ़ेसबुक से लेकर तब फ़ोन किया था ।

प्राईवेट लाईव स्ट्रीमिंग

कुछ समय बाद वो ठीक हो गई और उसका नम्बर बंद आने लगा । अब कई दिन पहले उसका फ़ोन आया और उसने बताया कि उसने वो सेंटर छोड़ दिया है और अब वो प्राईवेट लाईव स्ट्रीमिंग करती है जिसमें हर उम्र के लोग उसके क्लाइंट है । मैंने कहा कि आप अपनी पंसद से कोई और काम क्यों नहीं करती तो उसने कहा कि सर एक 9 वीं पास लड़की को कौन जॉब देगा और कोई जॉब मिली तो वहॉं पर भी ऐसे ही मर्द मिलते हैं अब लाईव स्ट्रीमिंग में मॉस्क लगाकर शरीर दिखाना होता है , कोई हमें छू तो नहीं सकता । चाहिए ही क्या है अब एक लेपटॉप , कुछ मॉस्क , कुछ छोटी ड्रैस बस और और शरीर का शोषण भी नहीं और पैसा भी भरपूर । अब मैं मेरे पीरियड के समय गोली भी नहीं खाती उन दिनों ऑफ़ रखती हूँ ।

शुरू में कंपनी में किया एक साल तक फिर अपना सीख लिया

अब मैं पैसे कमा रही हूँ तो मैंने पूछा तुम इसमें कैसे आई तो बताया कि कोविड में भूखे मर गए बिल्कुल फिर हमारे स्पॉ में काम करने वाली लड़की ने मुझे एक दिन फ़ोन करके मुझे इसमें काम करने के लिए पूछा वो किसी एजेंसी के द्वारा काम करती थी फिर मुझे ज़रूरत थी और मैंने भी ज्वॉईन कर लिया और शुरू में कंपनी में किया एक साल तक फिर अपना सीख लिया और अब मैंने अपनी कई आईडी बना रखी है मेरे पास मेरे फ़िक्स ग्राहक हैं ।
मैंने कहा कि ऐसे गिरोह को पकड़ाती क्यों नहीं तो उसने कहा कि सर आप क्यों रोज़ी रोटी ख़त्म करवा रहे हो फिर से क्या पता कौन कौन हमारा सीधे शोषण करेंगे तो उससे अच्छा तो यही है ।
आज के समय में और ख़ासकर कोविड के समय के बाद भारत में भी लडकीयॉं मॉस्क लगाकर इसे व्यवसायिक रूप दे रही है हालाँकि काफ़ी देशों में यह बहुत व्यवसायिक रूप से किया जाता है लेकिन भारत की लडकीयों को ज़रूरत के समय इसका सहारा लेना पड़ा ।

10 लाख से ज्यादा सेक्स वर्कर

भारत में सेक्स के मुद्दे पर आज तक किसी प्रधानमंत्री तक के द्वारा बोलने की हिम्मत नहीं हुई और न ही देश में 10 लाख से ज्यादा सेक्स वर्कर के लिए कोई सुविधाएँ हैं । अब जब युवा लडकीयॉं (रिया) की तरह इसे एक पेशे के रूप में डिजिटल रूप में अपना रही है तो ज़रूरत आन पड़ी है कि इस विषय पर बातचीत होनी बहुत ज़रूरी हो गई है कि आप सेक्स वर्कर जोकि हमारे देश का बहुत अभिन्न भाग है उसके लिए किस तरह पॉलिसी बनाकर उनकी राय अनुशार उनकी ज़िंदगी को सरल बनाया जाए ।

लेखक सुनील जागलान
फाऊंडर – सेल्फी विद डॉटर अभियान एवं फाऊंडेशन

1 Comment

  • Rujuta Deshmukh , February 6, 2023

    The article is written on a very serious issue and it also highlights how difficult it is to curb as the supply side is willing to continue. Poor girls will fall into the trap of easy money and trafficking and exploitation will continue. One thing that can curb this is training at an early stage. If adolescent girls are provided with entrepreneurship and skill development training at the school level, then they will be equipped with the knowledge of various business opportunities and dignified living. This situation needs to bring into the notice of policymakers, educationists, and ministries so that we can have proper training programmes for the girls at the early stages of their life.

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